Some time you feel great, some time you feel like crying. But all those emotions can be expressed well when you know the way to tell them.
It was when our college was gonna end in one month and we guys did not have any clues what to do next. People with different interests were doing different things... Drunkard community was busy in drinking daily. Players were sharpening there skills. and gapodi community members were improving there skills to argument. But all have one single pain of loosing the freedom, friends, ash and fearless environment. In such a mood i could write few words about my college...
बैठ जाऊ लब्जों की राह में, लिख्नने दिल की तरंगों को,
वक्त बचेगा नही बाकी, अपने आँसू पकडने को।
सजा के रखुंगा दिल में, इन लम्हों को यादों को
कोइ तो होगा कम्ब्खत, इस दर्द से अपना दिल लगाने को॥
पहले को याद करुं या करूं मैं आज को
फ़र्क पडता नही लगता कल की ही बात हो।
पल वो भी कुछ अजीब थे, लगता था हम बदनसीब थे
पल ये भी कुछ अजीब हैं, लगता है हम मौत के करीब हैं।
तब सोचते थे आ गये किस जहान में हम,
अब सोचते हैं, छुट जायेन्गे जिन्दगी से हम॥
ए दोस्त,
ये आना जाना तो तक्दीर है, खुदा की ढाली एक तस्बीर है
जो ना बदलती, ना बदलने देती हमको॥
वक्त बचेगा.....
मिलता एक अवसर, यदि बीता बदलने को
मिटा आते हम, मीठी सी उन हसीन बातों को।
बातों को
जो दर्द देंगी, तन्हाई में हर पल
रुलाती रहेगी मुझको, बनके दिल कि ये हलचल।
चला जाउंगा दूर मिटाने इस दिल कि तडपन को,
कोइ तो होगा कम्ब्खत.....
Liked it or not depend on you. But I love this.
It was when our college was gonna end in one month and we guys did not have any clues what to do next. People with different interests were doing different things... Drunkard community was busy in drinking daily. Players were sharpening there skills. and gapodi community members were improving there skills to argument. But all have one single pain of loosing the freedom, friends, ash and fearless environment. In such a mood i could write few words about my college...
बैठ जाऊ लब्जों की राह में, लिख्नने दिल की तरंगों को,
वक्त बचेगा नही बाकी, अपने आँसू पकडने को।
सजा के रखुंगा दिल में, इन लम्हों को यादों को
कोइ तो होगा कम्ब्खत, इस दर्द से अपना दिल लगाने को॥
पहले को याद करुं या करूं मैं आज को
फ़र्क पडता नही लगता कल की ही बात हो।
पल वो भी कुछ अजीब थे, लगता था हम बदनसीब थे
पल ये भी कुछ अजीब हैं, लगता है हम मौत के करीब हैं।
तब सोचते थे आ गये किस जहान में हम,
अब सोचते हैं, छुट जायेन्गे जिन्दगी से हम॥
ए दोस्त,
ये आना जाना तो तक्दीर है, खुदा की ढाली एक तस्बीर है
जो ना बदलती, ना बदलने देती हमको॥
वक्त बचेगा.....
मिलता एक अवसर, यदि बीता बदलने को
मिटा आते हम, मीठी सी उन हसीन बातों को।
बातों को
जो दर्द देंगी, तन्हाई में हर पल
रुलाती रहेगी मुझको, बनके दिल कि ये हलचल।
चला जाउंगा दूर मिटाने इस दिल कि तडपन को,
कोइ तो होगा कम्ब्खत.....
Liked it or not depend on you. But I love this.